PM Ujjwala Yojana – यहां हम बात कर रहे हैं Free Gas Connection की, जो खासकर गांवों में उन लोगों की ज़िंदगी बदलने का काम कर रही है जो अब तक लकड़ी, उपले या कोयले पर खाना बनाते थे। यार, सच बताएं तो, आज भी बहुत से लोग इन्हीं पारंपरिक चूल्हों पर खाना बनाते हैं। इससे न सिर्फ़ सेहत पर असर पड़ता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है। चलो समझते हैं कि इस नए इनिशिएटिव का फायदा कैसे हो सकता है।
पुरानी प्रॉब्लम्स – पारंपरिक चूल्हे की मुश्किलें
जो लोग गांवों में रहते हैं, वो जानते हैं कि लकड़ी, उपले या कोयले से चूल्हा जलाना कितना मेहनत का काम है। और जो धुआं निकलता है, वो तो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। इससे सांस की बीमारियां, फेफड़ों की दिक्कत, आंखों में जलन, और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।
WHO (World Health Organization) के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 5 लाख लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से होती है। और इसमें बड़ी वजह पारंपरिक चूल्हे हैं।
इसके अलावा, लकड़ी इकट्ठा करने में महिलाओं का काफी टाइम वेस्ट होता है। कई बार तो जंगल तक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। इससे उनके पास काम या पढ़ाई के लिए समय ही नहीं बचता।
नये जमाने के चूल्हे – क्या है ऑप्शन्स?
अब तो मार्केट में कई तरह के Modern Chulhas आ गए हैं। जैसे:
- Solar Cooker: ये तो बेस्ट ऑप्शन है अगर आपके पास धूप अच्छी मिलती है। कोई खर्चा नहीं, बस धूप चाहिए। लेकिन, cloudy weather में दिक्कत हो सकती है।
- Biogas Chulha: ये गोबर और जैविक कचरे से गैस बनाकर चलता है। Eco-friendly भी है और गांव में ये किफायती ऑप्शन हो सकता है।
- LPG (Liquefied Petroleum Gas): ये सबसे पॉपुलर ऑप्शन है। सरकार भी कई स्कीम्स के जरिए गरीब परिवारों को सस्ते में या फ्री में LPG कनेक्शन दे रही है।
- Electric Chulha: ये शहरी इलाकों में ठीक है। लेकिन गांवों में बिजली की प्रॉब्लम रहती है, तो ये कम ही चलता है।
- Improved Cookstoves: ये पारंपरिक चूल्हों का एडवांस्ड वर्जन है, जो कम धुआं और कम ईंधन में काम करता है।
क्या-क्या फायदे हैं इन नए चूल्हों के?
Health Benefits:
- धुएं से छुटकारा मिलता है तो सांस की बीमारियां कम होती हैं।
- आंखों में जलन और सरदर्द भी नहीं होता।
- घर का माहौल साफ-सुथरा रहता है।
Time & Energy Saving:
- खाना जल्दी बनता है, तो टाइम की बचत।
- लकड़ी इकट्ठा करने में लगने वाला समय बच जाता है।
- महिलाओं को काम या पढ़ाई के लिए टाइम मिल जाता है।
Environmental Benefits:
- वनों की कटाई कम होती है।
- वायु प्रदूषण भी कम होता है।
- Greenhouse gases का इमीशन भी कम होता है।
Economic Benefits:
- लंबी अवधि में देखा जाए तो ईंधन पर खर्च कम होता है।
- हेल्थ प्रॉब्लम्स कम होने से दवाइयों पर खर्च भी घट जाता है।
- महिलाएं अब दूसरे कामों में भी हाथ बंटा सकती हैं।
सरकारी स्कीम्स जो मदद कर रही हैं
भारत सरकार ने गांवों में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम्स लॉन्च की हैं। जैसे:
- राष्ट्रीय बायोमास कुकस्टोव प्रोग्राम: इसमें कम धुआं और ज्यादा efficient चूल्हे प्रमोट किए जा रहे हैं।
- अन्वेषा प्रोग्राम: सोलर कुकर और बाकी renewable energy पर फोकस है।
- सूर्य मित्र योजना: सोलर कुकर पर सब्सिडी दी जा रही है।
- बायोगैस डेवलपमेंट प्रोग्राम: इसमें बायोगैस प्लांट लगाने के लिए फाइनेंशियल हेल्प दी जाती है।
चैलेंजेस और उनके सल्यूशन
- Awareness की कमी: लोगों को ये चीज़ें पता ही नहीं होती। इसका सल्यूशन है जागरूकता कैंपेन और गांव पंचायतों के जरिए जानकारी फैलाना।
- High Initial Cost: ये नए चूल्हे थोड़े महंगे हो सकते हैं। तो इसका सल्यूशन है कि सरकार सब्सिडी दे और किस्तों में पेमेंट का ऑप्शन दे।
- Technical Problems: कई बार चूल्हे खराब हो जाते हैं और गांव में रिपेयरिंग सर्विस नहीं होती। स्थानीय स्तर पर टेक्नीशियनों को ट्रेनिंग देना और मोबाइल सर्विस यूनिट चलाना इसका सॉल्यूशन हो सकता है।
सक्सेस स्टोरीज
राजस्थान के एक गांव में 20 महिलाओं के ग्रुप ने मिलकर Solar Cooker इस्तेमाल करना शुरू किया। अब वो बचा हुआ समय सिलाई और हस्तशिल्प में लगाती हैं और पैसे भी कमा रही हैं।
महाराष्ट्र में एक गांव में बायोगैस प्लांट लगाया गया, जिससे पूरा गांव गैस से खाना बना पा रहा है। लकड़ी की जरूरत कम हो गई और वनों की कटाई भी घट गई।
आजकल का ये Free Gas Connection प्रोग्राम असल में लोगों की जिंदगी को आसान बना रहा है। खासकर महिलाओं के लिए ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि इससे उनकी सेहत और टाइम दोनों की बचत हो रही है। अगर ये इनिशिएटिव इसी तरह आगे बढ़ता रहा, तो गांवों में भी clean energy revolution आ जाएगा।