एनसीटीई का बड़ा फैसला: 76 बीएड, डीएलएड और बीपीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द NCTE Big Action On Bed Colleges

NCTE Big Action On Bed Colleges – नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने शिक्षक शिक्षा से जुड़े संस्थानों पर एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से जुड़े 76 बीएड, डीएलएड और बीपीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है। इन कॉलेजों पर लंबे समय से यह आरोप था कि ये निर्धारित शैक्षणिक मानकों का पालन नहीं कर रहे थे और बार-बार चेतावनी के बावजूद सुधार नहीं कर पाए। आखिरकार, एनसीटीई ने छात्रों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए यह कार्रवाई की।

सत्र 2025-26 में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे

एनसीटीई ने स्पष्ट किया है कि जिन कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है, वे अब 2025-26 सत्र से किसी भी काउंसलिंग लिस्ट में शामिल नहीं होंगे। यानी अब इन संस्थानों में कोई भी छात्र नया दाखिला नहीं ले सकेगा। जो छात्र इन कॉलेजों से पढ़ाई करने का सोच रहे थे, उन्हें अब अन्य मान्यता प्राप्त कॉलेजों की तलाश करनी होगी। इससे काउंसलिंग में विकल्प जरूर कम होंगे, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिहाज से यह कदम अहम है।

मेरठ मंडल के कॉलेजों की हालत

मेरठ मंडल के 6 जिलों के कई कॉलेज इस कार्रवाई की चपेट में आए हैं। एनसीटीई ने विश्वविद्यालय से कॉलेजों की डिटेल रिपोर्ट मंगवाई थी, जिसके आधार पर जांच पूरी कर यह निर्णय लिया गया। हालांकि राहत की बात यह है कि मौजूदा छात्रों को कोर्स पूरा करने की अनुमति दी गई है। लेकिन नए एडमिशन के लिए अब इन कॉलेजों के दरवाजे बंद हो चुके हैं।

कितने कॉलेजों की मान्यता गई

एनसीटीई ने हाल ही में जारी एक लिस्ट में बताया कि प्रदेश के कुल 1059 संस्थानों में से 176 की मान्यता पहले ही रद्द की जा चुकी थी। अब 76 और कॉलेज इसमें जुड़ गए हैं, जिससे यह संख्या और बढ़ गई है। यह दिखाता है कि एनसीटीई अब शिक्षण संस्थानों के प्रति सख्त हो चुका है और जो भी संस्थान मानकों की अनदेखी करेगा, उस पर इसी तरह की कार्रवाई होगी।

किन कोर्स पर पड़ा असर

इन कॉलेजों में बीएड के साथ-साथ डीएलएड, बीपीएड, एमएड और एमएससी एजुकेशन जैसे कोर्स भी चलते थे। अब जब कॉलेजों की मान्यता रद्द हो गई है, तो इन सभी कोर्स पर सीधा असर पड़ा है। यानी ये कॉलेज किसी भी कोर्स में अब नया एडमिशन नहीं ले पाएंगे। एनसीटीई का यह कदम सिर्फ बीएड ही नहीं, बल्कि सभी शिक्षण पाठ्यक्रमों को एक समान गुणवत्ता में लाने की कोशिश है।

छात्रों को क्या करना चाहिए

अगर आप इन कॉलेजों में पहले से पढ़ाई कर रहे हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपका कोर्स पूरा कराया जाएगा। लेकिन जो छात्र 2025-26 सत्र में एडमिशन लेने की सोच रहे हैं, उन्हें अब पहले से और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने से पहले उसकी मान्यता की स्थिति जरूर जांच लें, जो विश्वविद्यालय या एनसीटीई की वेबसाइट से आसानी से की जा सकती है।

चार वर्षीय नया कोर्स क्यों जरूरी हो गया है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत अब शिक्षक बनने के लिए चार साल का एकीकृत कोर्स अनिवार्य किया जा रहा है। एनसीटीई ने कई बार कॉलेजों को यह नया कोर्स अपनाने के लिए निर्देश दिए, लेकिन बहुत सारे कॉलेजों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके साथ ही, योग्य शिक्षक, प्रयोगशाला, पुस्तकालय और बुनियादी ढांचे की भी कमी देखी गई। ऐसे में अब केवल उन्हीं संस्थानों को ही आगे मौका मिलेगा, जो इन मानकों को पूरी तरह से अपनाएंगे।

कॉलेजों को बार-बार चेतावनी क्यों दी गई

एनसीटीई पिछले कुछ सालों से लगातार कॉलेजों को नोटिस भेजता आ रहा था। उन्हें बार-बार कहा गया कि वे अपनी सुविधाएं सुधारें, योग्य शिक्षक रखें और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएं। कई कॉलेजों ने इन निर्देशों का पालन किया, लेकिन कई ने अनदेखी की। अब जब एनसीटीई ने कार्रवाई की है, तो इसका असर आने वाले समय में और भी कॉलेजों पर देखने को मिलेगा।

अन्य कॉलेजों पर क्यों बढ़ेगा दबाव

जब 76 कॉलेजों की मान्यता रद्द हो गई है, तो बाकी बचे कॉलेजों पर एडमिशन का बोझ बढ़ना तय है। छात्रों को अब कम विकल्पों में से सही कॉलेज चुनना होगा, जिससे मान्यता प्राप्त कॉलेजों में प्रतियोगिता बढ़ेगी और सीटें जल्दी भर सकती हैं। लेकिन इसका एक फायदा यह होगा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और केवल योग्य कॉलेज ही आगे बढ़ पाएंगे।

छात्रों के करियर पर क्या पड़ेगा असर

यह फैसला एक बड़ा सबक है उन छात्रों के लिए, जो सिर्फ कम फीस या आसानी से एडमिशन मिलने के लालच में कॉलेज चुन लेते हैं। अब समय आ गया है कि छात्र कॉलेज का चयन सोच-समझकर करें और उसकी मान्यता जरूर जांचें। एनसीटीई का मानना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों को बेहतर ट्रेनिंग और संसाधन मिलेंगे।

क्या भविष्य में और कॉलेज बंद हो सकते हैं

जी हां, एनसीटीई ने यह साफ किया है कि जांच प्रक्रिया अभी खत्म नहीं हुई है। अगर भविष्य में कोई और कॉलेज भी मानकों पर खरा नहीं उतरता है, तो उसकी भी मान्यता रद्द हो सकती है। नियमों को और सख्त करने की तैयारी है, ताकि शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाया जा सके।

एनसीटीई का असली उद्देश्य क्या है

एनसीटीई का मकसद देश में शिक्षक बनने की प्रक्रिया को पारदर्शी, गुणवत्तापूर्ण और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुसार बनाना है। इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहा है और जो संस्थान इस मकसद के आड़े आएंगे, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

FAQs:

प्रश्न: जिन छात्रों ने अभी दाखिला लिया है, उनका क्या होगा?

उत्तर: एनसीटीई ने मौजूदा छात्रों को कोर्स पूरा करने की अनुमति दी है, ताकि उनका करियर प्रभावित न हो।

प्रश्न: क्या इन कॉलेजों से डिग्री ली गई है तो वह अमान्य हो जाएगी?

उत्तर: नहीं, जिन छात्रों ने पहले से पढ़ाई पूरी कर ली है या कर रहे हैं, उनकी डिग्री मान्य रहेगी।

प्रश्न: मान्यता प्राप्त कॉलेजों की जानकारी कैसे प्राप्त करें?

उत्तर: आप विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट या एनसीटीई की पोर्टल पर जाकर कॉलेज की मान्यता की स्थिति चेक कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख एनसीटीई की रिपोर्ट और विभिन्न मीडिया स्रोतों पर आधारित है। प्रवेश से पहले छात्र स्वयं विश्वविद्यालय और एनसीटीई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर कॉलेज की मान्यता की स्थिति की पुष्टि जरूर करें। किसी भी निर्णय के लिए यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है।

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