Loan Pre-payment : आजकल लोन लेना तो बहुत आम हो गया है। चाहे घर खरीदना हो, गाड़ी लेनी हो या कोई और बड़ा खर्च करना हो, लोग बिना ज्यादा सोचे-समझे लोन उठा लेते हैं। लेकिन असली खेल तब शुरू होता है जब लोन चुकाने की बारी आती है। इस दौरान कई लोग सोचते हैं कि Loan Prepayment यानी लोन का समय से पहले भुगतान कर देना फायदेमंद रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जल्दी लोन चुका देने से ब्याज कम देना पड़ता है और आर्थिक बोझ भी कम हो जाता है। लेकिन क्या सच में लोन प्रीपेमेंट करने से सिर्फ फायदा ही होता है या इसके कुछ छिपे हुए नुकसान भी हैं? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
Loan Prepayment करने के नुकसान
1. बैंक चार्जेस और जुर्माना
अगर आप सोचे बैठे हैं कि समय से पहले लोन चुका देंगे और बचत कर लेंगे, तो जरा रुकिए! कई बैंक और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन्स Loan Prepayment पर अतिरिक्त चार्ज वसूलते हैं। यह loan foreclosure charges लोन की बाकी रकम का 1 से 5% तक हो सकता है। यानी, जितना ज्यादा लोन बाकी रहेगा, उतना ज्यादा चार्ज देना पड़ेगा।
2. सिबिल स्कोर पर असर
बहुत से लोग मानते हैं कि जल्दी लोन चुकाने से उनका CIBIL Score बेहतर होगा, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है। कुछ मामलों में Loan Prepayment करने से क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक यह देखता है कि आप लंबी अवधि तक लोन का सही से भुगतान कर रहे हैं या नहीं। अगर आप अचानक लोन क्लोज कर देते हैं, तो बैंक को ब्याज का नुकसान होता है, जिससे आपका क्रेडिट हिस्ट्री थोड़ा डगमगा सकता है।
3. ब्याज में ज्यादा बचत नहीं होती
लोग लोन जल्दी चुकाने का फैसला अक्सर ब्याज बचाने के लिए करते हैं, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि आप लोन किस स्टेज पर चुका रहे हैं। अगर आपने पहले ही अधिकतर ब्याज चुका दिया है और सिर्फ प्रिंसिपल राशि बची है, तो समय से पहले लोन चुकाने का फायदा नहीं मिलेगा।
4. फाइनेंशियल प्लानिंग गड़बड़ा सकती है
अगर आप अपने सेविंग्स या निवेश की रकम निकालकर लोन चुका देते हैं, तो हो सकता है कि बाद में जरूरत पड़ने पर आपको फिर से लोन लेना पड़े। इसलिए बिना सोचे-समझे लोन प्रीपेमेंट करने से आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग खराब हो सकती है।
Loan Prepayment करने के फायदे
1. ब्याज से बचत
अगर आप लोन की शुरुआत में ही Prepayment कर देते हैं, तो आप काफी interest बचा सकते हैं। लोन की EMI का पहला हिस्सा ज्यादातर ब्याज चुकाने में ही चला जाता है। इसलिए अगर आप शुरुआत में ही लोन चुका देते हैं, तो interest कम देना पड़ेगा और आपका कुल खर्च कम हो जाएगा।
2. मानसिक शांति
हर महीने EMI का टेंशन लेना किसी को पसंद नहीं होता। अगर आपके पास अतिरिक्त पैसा है और आप लोन चुका सकते हैं, तो इससे आर्थिक दबाव कम हो जाता है और मन को शांति मिलती है।
3. नया लोन लेना होगा आसान
जब आप कोई लोन लेते हैं, तो बैंक आपकी पुरानी लोन हिस्ट्री देखकर ही नया लोन अप्रूव करता है। अगर आपके ऊपर पहले से ज्यादा लोन हैं, तो नया लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। लेकिन अगर आपने पुराने लोन समय से पहले चुका दिए हैं, तो आपका क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत बनता है और नए लोन लेने में आसानी होती है।
कब Loan Prepayment करना सही रहेगा?
अब सवाल ये उठता है कि Loan Prepayment करने का सही समय क्या है?
- अगर लोन की शुरुआती स्टेज में हैं – लोन के पहले कुछ सालों में ब्याज ज्यादा होता है, इसलिए अगर आपके पास पर्याप्त पैसा है, तो लोन प्रीपेमेंट करने से अच्छा खासा ब्याज बच सकता है।
- जब आपको बड़ा बोनस या एक्स्ट्रा इनकम मिले – अगर आपको अचानक कहीं से बड़ा फंड मिल जाए, तो इसका इस्तेमाल लोन चुकाने में कर सकते हैं।
- अगर आपके पास सेविंग्स बनी हुई है – ऐसा न हो कि पूरा पैसा लोन चुकाने में लगा दें और फिर जरूरत पड़ने पर लोन लेना पड़े। पहले इमरजेंसी फंड बनाकर रखें, फिर ही प्रीपेमेंट के बारे में सोचें।
एक्सपर्ट की सलाह लें, फिर फैसला करें
कई लोग बिना सोचे-समझे लोन प्रीपेमेंट कर देते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह हर किसी के लिए सही फैसला हो। इसलिए कुछ बातें ध्यान में रखें:
- अगर लोन की अवधि खत्म होने के करीब है, तो प्रीपेमेंट का कोई फायदा नहीं होगा।
- बैंक के foreclosure charges को समझ लें और उसके बाद ही फैसला करें।
- अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा बनाए रखना जरूरी है, तो छोटे-छोटे EMI भरते रहना बेहतर हो सकता है।
- फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें और अपनी स्थिति के हिसाब से सही फैसला लें।
निष्कर्ष
समय से पहले लोन चुकाना अच्छा या बुरा, यह पूरी तरह आपकी फाइनेंशियल स्थिति और लोन की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर सही समय पर सही प्लानिंग के साथ लोन प्रीपेमेंट करते हैं, तो यह फायदेमंद हो सकता है, लेकिन बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में किया गया फैसला नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए पहले बैंक की पॉलिसी, अपने खर्च, भविष्य की जरूरतों और संभावित जुर्माने को ध्यान में रखकर ही कोई कदम उठाएं।