DA Arrears : महंगाई भत्ते की 3 रुकी हुई किस्तें मिलने वाली हैं, जानिए सरकार का ताजा फैसला

DA Arrears : महंगाई भत्ता (DA Arrears) किसी भी कर्मचारी की सैलरी का अहम हिस्सा होता है। यह भत्ता कर्मचारियों के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि ये उनकी आर्थिक स्थिति को सीधे प्रभावित करता है। लेकिन कोरोना के दौरान केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर भारी कटौती कर दी थी। खास तौर से जनवरी 2020 से जून 2021 तक के महंगाई भत्ते की तीन किस्तें रोक दी गई थीं। अब इस मुद्दे पर एक बड़ा अपडेट सामने आया है।

महंगाई भत्ता और कोरोना काल का असर

महंगाई भत्ता (DA) कर्मचारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि जब सरकार ने 18 महीने तक महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को रोक लिया था, तो कर्मचारियों में नाराजगी पैदा हो गई। इन रोकें गए किस्तों की राशि का भुगतान कर्मचारियों के लिए अब भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कोविड महामारी के दौरान सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को रोकने का फैसला लिया था, जिससे कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।

बकाया महंगाई भत्ते की किस्तों का भुगतान

कोरोना काल में सरकार ने यह फैसला लिया था कि जनवरी 2020 से जून 2021 तक के महंगाई भत्ते की तीन किस्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों की शिकायत है कि जब सरकार ने इन किस्तों को रोक लिया था, तो बाद में कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया। अब कर्मचारी संघों ने बकाया महंगाई भत्ते के भुगतान की मांग तेज कर दी है और इसके लिए उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।

कर्मचारियों की अन्य मांगें

केंद्रीय कर्मचारी संघ ने इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ाने का एलान किया है। इसके साथ ही कर्मचारी संघ ने कुछ और अहम मांगें भी उठाई हैं। इनमें से प्रमुख मांग है –

  1. 8वें वेतन आयोग का गठन – कर्मचारियों की मांग है कि 8वें वेतन आयोग का गठन जल्दी किया जाए ताकि उनकी सैलरी और भत्तों की समीक्षा की जा सके।
  2. पुरानी पेंशन योजना की बहाली – संघ ने यह भी मांग की है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए।
  3. बकाया डीए एरियर की किस्तें जारी करना – कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को बकाया महंगाई भत्ता (DA Arrears) की किस्तों का भुगतान जल्द करना चाहिए।
  4. पेंशन कटौती की अवधि घटाई जाए – कर्मचारियों की यह भी मांग है कि पेंशन में जो कटौती हो रही है, उसकी अवधि को कम किया जाए।
  5. खाली पदों पर भर्ती – कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी कार्यालयों में खाली पड़े पदों पर जल्दी से भर्ती की जाए, ताकि कामकाजी माहौल सुधरे।
  6. निजीकरण पर रोक – कर्मचारी संघ ने यह भी कहा है कि सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर तुरंत रोक लगाई जाए और कर्मचारियों को सुरक्षा दी जाए।
  7. लोकतांत्रिक तरीके से कर्मचारी संघों को कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए – कर्मचारियों का यह मानना है कि उन्हें अपने हक के लिए आवाज उठाने का अधिकार मिलना चाहिए और वे लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर सकें।

सरकार का रुख

जहां एक तरफ कर्मचारी संघ अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि बकाया महंगाई भत्ता (DA Arrears) का भुगतान फिलहाल संभव नहीं है। सरकार का तर्क है कि कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा था और इसके कारण ही महंगाई भत्ते को रोकने का फैसला लिया गया था। इसके अलावा, सरकार का यह भी कहना है कि उसने कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया था, जिनका असर अभी भी सरकार के बजट पर है।

सरकार का कहना है कि अगर कर्मचारी संघ यह चाहते हैं तो बकाया महंगाई भत्ते का भुगतान किस्तों में किया जा सकता है, लेकिन एक साथ पूरी राशि का भुगतान फिलहाल मुमकिन नहीं है।

कर्मचारियों की निराशा

कर्मचारी संघ के अनुसार, सरकार की तरफ से किए जा रहे वादों और आश्वासनों से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि कर्मचारियों की जायज मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। 8 फरवरी को कर्मचारी संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यह तय किया था कि 10 और 11 मार्च को देशभर में गेट मीटिंग्स और जनरल बॉडी मीटिंग्स आयोजित की जाएं, ताकि आंदोलन को और मजबूती दी जा सके। इन बैठकों में कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार से अपनी मांगें रखने का काम किया।

निष्कर्ष

महंगाई भत्ता (DA Arrears) और अन्य कर्मचारियों की मांगों को लेकर इस समय केंद्र सरकार और कर्मचारी संघों के बीच एक बड़ी टकराव की स्थिति बनी हुई है। कर्मचारी अपनी मेहनत की उचित कीमत के लिए आवाज उठा रहे हैं, और अब देखना यह है कि सरकार किस तरह से इन मुद्दों का समाधान करती है।

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