CIBIL Score – डिजिटल जमाने में अब CIBIL स्कोर की अहमियत सिर्फ लोन या क्रेडिट कार्ड तक सीमित नहीं रही। आजकल यह नौकरी दिलाने या छीनने का कारण भी बन सकता है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने सभी को चौंका दिया। एक व्यक्ति को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में नौकरी मिल गई थी, लेकिन बाद में उसका ऑफर सिर्फ इसलिए कैंसिल कर दिया गया क्योंकि उसका सिबिल स्कोर ठीक नहीं था। हैरानी की बात यह है कि मद्रास हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया है।
पूरा मामला क्या था?
ये मामला एक सामान्य उम्मीदवार का नहीं था। यह व्यक्ति पहले HDFC बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर काम कर चुका था। उसने अपने छोटे भाई के बिज़नेस को सपोर्ट करने के लिए कई पर्सनल लोन लिए थे। लेकिन दुर्भाग्य से उसका भाई एक हादसे का शिकार हो गया, और बिज़नेस को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद लोन चुकाने में दिक्कतें शुरू हो गईं और 2016 से 2021 के बीच उसकी क्रेडिट हिस्ट्री में लगातार गड़बड़ियां आती रहीं। कहीं पेमेंट लेट हुए, कहीं लोन राइट-ऑफ हुआ और उसकी प्रोफाइल पर कई बार फाइनेंशियल इन्क्वायरी हुई।
SBI ने क्यों रद्द किया ऑफर लेटर
इस व्यक्ति ने SBI के Circle Based Officer (CBO) पद के लिए परीक्षा दी थी और इंटरव्यू भी पास कर लिया था। मार्च 2021 में उसे नियुक्ति पत्र भी मिल गया था। लेकिन जब बैंक ने उसकी सिबिल रिपोर्ट की जांच की तो पाया कि उसका स्कोर बहुत खराब है। फिर बिना ज्यादा देर किए, बैंक ने उसे दिया गया जॉब ऑफर कैंसिल कर दिया। बैंक का तर्क था कि वित्तीय संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी की खुद की फाइनेंशियल स्थिति मजबूत होनी चाहिए।
कोर्ट में गया मामला, क्या हुआ फैसला?
इस फैसले के खिलाफ वह व्यक्ति मद्रास हाई कोर्ट पहुंच गया। उसने तर्क दिया कि बैंक के HR विभाग ने पहले ही कहा था कि नौकरी जॉइन करने से पहले लोन से जुड़ी समस्याएं ठीक की जा सकती हैं। इसलिए उसे मौका दिया जाना चाहिए था। लेकिन बैंक ने इस बात का सख्ती से विरोध किया और कहा कि उसकी सिबिल रिपोर्ट में 50 से भी ज्यादा बार इन्क्वायरी हुई है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं रहा है। कोर्ट ने बैंक की दलीलों को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट का सख्त रुख
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि बैंक को यह अधिकार है कि वो क्रेडिट रिपोर्ट के आधार पर किसी को नौकरी दे या न दे। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि बैंक कर्मचारी सार्वजनिक धन का प्रबंधन करते हैं, इसलिए उनके खुद के वित्तीय रिकॉर्ड भी साफ-सुथरे होने चाहिए। अगर कोई व्यक्ति खुद की आर्थिक ज़िम्मेदारियों को नहीं निभा सकता, तो उस पर दूसरों के पैसे की जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है?
फाइनेंस सेक्टर में नौकरी चाहिए तो सिबिल स्कोर रखें दुरुस्त
इस फैसले से साफ हो गया है कि अगर आप बैंक या फाइनेंशियल संस्थानों में करियर बनाना चाहते हैं, तो केवल डिग्री और स्किल्स काफी नहीं हैं। आपको अपने फाइनेंशियल डिसिप्लिन पर भी ध्यान देना होगा। EMI समय पर चुकाएं, क्रेडिट कार्ड लिमिट से ज्यादा खर्च न करें, और जितना जल्दी हो सके अपने पुराने बकाया क्लियर करें। अगर कोई दिक्कत चल रही है तो उसे नजरअंदाज न करें बल्कि जल्द से जल्द उसका हल निकालें।
कंपनियों के लिए बना नया मानक
अब ये ट्रेंड सिर्फ बैंकिंग क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। धीरे-धीरे बाकी कंपनियां भी अपने एम्प्लॉयी की बैकग्राउंड चेक में सिबिल स्कोर को शामिल कर सकती हैं। खासतौर पर जहां फाइनेंशियल जिम्मेदारी की भूमिका होती है, वहां यह नया मानदंड बन सकता है। इससे यह भी साफ होता है कि कंपनियां अब सिर्फ टेक्निकल नॉलेज या एक्सपीरियंस पर नहीं, बल्कि आपकी पर्सनल फाइनेंशियल हैबिट्स पर भी नज़र रखने लगी हैं।
क्या सिखाता है यह मामला?
इस केस से हमें एक अहम सीख मिलती है कि अब करियर की राह में सिबिल स्कोर भी उतना ही जरूरी हो गया है जितना कि आपकी डिग्री। अगर आप चाहते हैं कि नौकरी के अवसर खो न जाएं, तो आज से ही अपने फाइनेंशियल व्यवहार को ठीक करें। छोटी-छोटी लापरवाहियां भी बड़ी कीमत बनकर सामने आ सकती हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी को किसी भी प्रकार की कानूनी या पेशेवर सलाह के रूप में न लें। किसी भी तरह के वित्तीय या करियर से जुड़े फैसले लेने से पहले किसी विशेषज्ञ की राय जरूर लें।