Bank Loan : आजकल के दौर में हर किसी को कभी न कभी लोन की जरूरत पड़ ही जाती है। घर खरीदना हो, गाड़ी लेनी हो, बच्चों की पढ़ाई करनी हो या फिर कोई बिजनेस सेटअप करना हो—लोन लेना आम बात हो गई है। लेकिन लोन लेने से पहले एक जरूरी चीज समझनी चाहिए, और वो है EMI यानी कि हर महीने चुकाने वाली किस्त। अगर आप बिना सोचे-समझे लोन ले लेते हैं और EMI का सही से कैलकुलेशन नहीं करते, तो आगे चलकर पैसों की तंगी झेलनी पड़ सकती है।
अगर आप भी लोन लेने का प्लान बना रहे हैं, तो पहले ये समझ लें कि EMI और सैलरी का बैलेंस कैसा होना चाहिए ताकि आपकी बाकी जरूरतें भी पूरी होती रहें और लोन चुकाने का बोझ भी न बने। इस लेख में हम आपको बताएंगे EMI तय करने का सही तरीका, जिससे आप बिना किसी टेंशन के अपना लोन मैनेज कर सकते हैं।
EMI और सैलरी का सही बैलेंस क्यों जरूरी है?
लोन एक लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट होता है, यानी एक बार लोन लेने के बाद आपको इसे चुकाने की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। हर महीने आपको एक तय रकम EMI के तौर पर बैंक को देनी होगी। अब अगर आपकी सैलरी का बड़ा हिस्सा EMI में चला जाता है, तो रोजमर्रा के खर्चों को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है।
इसलिए लोन लेने से पहले इस बात की प्लानिंग जरूरी है कि आपकी सैलरी का कितना हिस्सा EMI में जाएगा और कितना बाकी खर्चों के लिए बचेगा। एक सही फॉर्मूले के जरिए आप अपनी EMI को बैलेंस कर सकते हैं ताकि आपकी फाइनेंशियल हेल्थ अच्छी बनी रहे।
EMI तय करने का सही फॉर्मूला
अगर आप नौकरी करते हैं या फिर बिजनेस से हर महीने एक फिक्स्ड इनकम कमाते हैं, तो आपकी EMI आपकी इनकम के 35 से 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बाकी का 60% हिस्सा आपके रहने-खाने, इंश्योरेंस, सेविंग्स और बाकी जरूरी खर्चों के लिए होना चाहिए।
उदाहरण से समझें:
मान लीजिए, आपकी मंथली इनकम ₹1,00,000 है।
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EMI के लिए: अधिकतम ₹35,000 – ₹40,000
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दूसरे खर्चों और सेविंग्स के लिए: ₹60,000 – ₹65,000
इससे आप बिना किसी फाइनेंशियल प्रेशर के अपनी EMI चुका पाएंगे और बाकी खर्चों को भी आसानी से मैनेज कर सकेंगे।
EMI तय करते समय इन बातों का रखें ध्यान
लोन लेने से पहले कुछ जरूरी चीजों को ध्यान में रखना चाहिए ताकि आगे चलकर कोई परेशानी न हो:
1. भविष्य की ग्रोथ को ध्यान में रखें
अगर आप अभी कम सैलरी पर काम कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में आपकी इनकम बढ़ने की संभावना है, तो EMI लेते वक्त इसे ध्यान में रखें। हालांकि, इसका ये मतलब नहीं कि आप बहुत ज्यादा EMI लेने लगें। हमेशा एक लिमिट के अंदर ही EMI रखें और बाकी पैसों को सेव करें ताकि कोई इमरजेंसी आने पर आप संभल सकें।
2. सिर्फ स्टेबल इनकम के आधार पर लोन लें
अगर आपकी कमाई के कई सोर्स हैं, तो लोन का कैलकुलेशन सिर्फ आपकी स्टेबल इनकम के आधार पर करें। मान लीजिए, आपकी जॉब की सैलरी ₹50,000 है और आप पार्ट-टाइम काम से ₹20,000 एक्स्ट्रा कमा रहे हैं। ऐसे में EMI तय करते वक्त सिर्फ ₹50,000 वाली इनकम को ध्यान में रखें, न कि एक्स्ट्रा इनकम को, क्योंकि एक्स्ट्रा इनकम हमेशा बनी रहे, इसकी कोई गारंटी नहीं होती।
3. EMI बढ़ सकती है, इसके लिए तैयार रहें
बाजार की स्थिति के हिसाब से लोन की ब्याज दरें (Interest Rate) ऊपर-नीचे होती रहती हैं। इसका मतलब है कि अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, तो भविष्य में आपकी EMI बढ़ सकती है। ऐसे में पहले से ही एक बैकअप प्लान बना लें ताकि आपको आगे चलकर दिक्कत न हो।
EMI का भुगतान आसान कैसे बनाएं?
अगर आप चाहते हैं कि लोन चुकाना आसान हो जाए, तो इन टिप्स को फॉलो करें:
✅ अधिकतम 35-40% इनकम ही EMI में डालें – इससे आपकी बाकी जरूरतें भी पूरी होंगी और फाइनेंशियल प्रेशर भी नहीं बनेगा।
✅ जल्दी लोन चुकाने की प्लानिंग करें – अगर आपके पास एक्स्ट्रा पैसे हैं, तो लोन का प्री-पेमेंट कर दें ताकि ब्याज कम लगे और लोन जल्दी खत्म हो जाए।
✅ इमरजेंसी फंड बनाकर रखें – 3 से 6 महीने की EMI के बराबर इमरजेंसी फंड बनाकर रखें ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में दिक्कत न हो।
✅ ब्याज दरों पर नजर रखें – अगर दूसरी बैंक में कम ब्याज पर लोन मिल रहा हो, तो बैलेंस ट्रांसफर करवा सकते हैं ताकि EMI कम हो जाए।
✅ लोन लेते समय सही टेन्योर चुनें – अगर आपकी EMI ज्यादा आ रही है, तो लोन की अवधि बढ़ा दें, जिससे मासिक किस्त कम हो जाएगी।
निष्कर्ष
लोन लेना आसान है, लेकिन उसे सही से मैनेज करना बहुत जरूरी है। अगर आप पहले से प्लानिंग कर लेते हैं और EMI का सही कैलकुलेशन करते हैं, तो आपको फाइनेंशियल प्रेशर नहीं झेलना पड़ेगा। बस इस बात का ध्यान रखें कि EMI आपकी इनकम का 40% से ज्यादा न हो और बाकी 60% खर्चों और सेविंग्स के लिए बचा रहे।
अगर आप इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखेंगे, तो लोन लेने के बाद भी आपकी जिंदगी में पैसों की टेंशन नहीं होगी और आप आसानी से अपनी जरूरतें पूरी कर पाएंगे।