ATM से पैसे निकालना हुआ महंगा, हर ट्रांजेक्शन पर लगेगा चार्ज! जानिए नया नियम ATM Charges Hike

ATM Charges Hike – अगर आप अक्सर एटीएम से पैसे निकालते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। अब ATM से पैसे निकालना पहले की तरह आसान और सस्ता नहीं रह गया है। बैंकों ने ट्रांजेक्शन चार्ज बढ़ा दिए हैं और यह नया नियम आज से पूरे देश में लागू हो गया है। इसका मतलब है कि अगर आप तय लिमिट से ज्यादा बार एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो आपकी जेब पर सीधा असर पड़ेगा। पहले जो चार्ज ₹20 हुआ करता था, अब वो बढ़कर ₹21 हो गया है।

मुफ्त ट्रांजेक्शन की सीमा में नहीं हुआ बदलाव, लेकिन…

अभी भी ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों को महीने में कुछ मुफ्त ट्रांजेक्शन की सुविधा देते हैं। जैसे – अपने बैंक के एटीएम से पांच बार और किसी दूसरे बैंक के एटीएम से तीन बार फ्री ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। लेकिन अगर आप इस लिमिट को पार करते हैं, तो हर बार पैसे निकालने पर ₹21 तक का चार्ज लगेगा। कुछ मामलों में यह राशि टैक्स जोड़ने के बाद ₹24 तक भी पहुंच सकती है। यही नहीं, बैलेंस चेक या मिनी स्टेटमेंट जैसी छोटी सेवाओं पर भी अब चार्ज लग सकता है।

नया चार्ज स्ट्रक्चर क्या कहता है?

अब अगर आप फ्री लिमिट से ज्यादा बार एटीएम इस्तेमाल करते हैं, तो हर कैश ट्रांजेक्शन पर ₹21 तक चुकाने होंगे। इसके अलावा, बैलेंस इन्क्वायरी, स्टेटमेंट निकालना, पिन चेंज जैसी नॉन-कैश सेवाओं पर भी कुछ बैंकों ने चार्ज लागू कर दिया है। यानी अब बैंक की छोटी-छोटी सेवाएं भी मुफ्त नहीं रहेंगी। ये नया स्ट्रक्चर दिखाता है कि अब आम ग्राहक को हर कदम पर सोचना पड़ेगा कि एटीएम का इस्तेमाल करना है या नहीं।

किन लोगों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर होगा जो महीने में कई बार पैसे निकालते हैं – जैसे बुजुर्ग, छोटे दुकानदार, ग्रामीण इलाकों के लोग या वो लोग जो डिजिटल पेमेंट से अभी भी दूर हैं। ऐसे लोग अब बार-बार एटीएम जाने से पहले जरूर सोचेंगे, क्योंकि हर बार कुछ न कुछ अतिरिक्त चार्ज देना पड़ेगा। इससे उनके खर्चों में सीधा इजाफा होगा और बजट गड़बड़ा सकता है।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की कोशिश

ये बदलाव कहीं न कहीं सरकार और बैंकों की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें देश को ‘कैशलेस इकॉनॉमी’ की ओर बढ़ाया जा रहा है। सरकार चाहती है कि लोग UPI, मोबाइल वॉलेट, नेट बैंकिंग जैसे डिजिटल विकल्पों का ज्यादा इस्तेमाल करें। अगर लोग कम कैश निकालेंगे और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करेंगे, तो ना सिर्फ चार्ज से बचेंगे, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को भी मजबूती मिलेगी। हालांकि देश के कई हिस्सों में अभी डिजिटल सुविधा और जागरूकता की कमी है, फिर भी बदलाव की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा सकता है।

बैंक क्या कहते हैं?

बैंकों की माने तो ATM नेटवर्क को बनाए रखना, मशीनों का मेंटेनेंस, सर्वर का खर्च, सुरक्षा – ये सब काफी महंगे हो गए हैं। इसके अलावा महंगाई भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उनके पास चार्ज बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। बैंक ये भी कहते हैं कि अगर ग्राहक डिजिटल बैंकिंग को अपनाएं, तो उन्हें ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी और बैंक भी कम खर्च में ज्यादा सेवाएं दे पाएंगे। हालांकि आम ग्राहक इस फैसले से खुश नहीं हैं और सोशल मीडिया पर बैंकों की आलोचना कर रहे हैं।

अब ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

अब ग्राहकों को थोड़ा स्मार्ट बनना होगा। सबसे पहले तो महीने में कितनी बार पैसे निकालने हैं, इसकी एक प्लानिंग बना लें ताकि फ्री ट्रांजेक्शन की लिमिट में ही सारा काम हो जाए। कोशिश करें कि जितना हो सके, डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करें – जैसे UPI, फोनपे, गूगल पे, पेटीएम वगैरह। इससे आपको बार-बार एटीएम जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और चार्ज से भी बच जाएंगे।

डिजिटल बैंकिंग: समय की मांग

आज के समय में डिजिटल बैंकिंग सिर्फ सुविधा नहीं, एक जरूरत बन चुकी है। न सिर्फ पैसे बचाने के लिए, बल्कि समय और मेहनत दोनों की बचत के लिए। शहरों में लोग तेजी से डिजिटल हो रहे हैं, अब ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में भी यह बदलाव लाना जरूरी है।

डिस्क्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न न्यूज रिपोर्ट्स, बैंक वेबसाइट्स और पब्लिक स्रोतों पर आधारित है। चार्ज, लिमिट और नियम समय-समय पर बदल सकते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या नजदीकी शाखा से पूरी जानकारी जरूर प्राप्त करें। यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी देने के लिए है, किसी विशेष बैंक के पक्ष या विपक्ष में नहीं।

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