8th Pay Commission : सैलरी में जबरदस्त बढ़ोतरी! 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर से मिलेगा तगड़ा फायदा

8th Pay Commission : सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण वेतन आयोग होता है, जो हर 10 साल में लागू किया जाता है। इसमें सैलरी रिवाइज करने के लिए फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल होता है। यही फैक्टर तय करता है कि सैलरी कितनी बढ़ेगी। लेकिन, ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों को फिटमेंट फैक्टर के गणित के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती। चलिए, इस खबर में इसे आसान भाषा में समझते हैं।

फिटमेंट फैक्टर क्या है?

हर बार जब नया वेतन आयोग आता है, तो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को एक तय फॉर्मूले के तहत बढ़ाया जाता है, जिसे फिटमेंट फैक्टर कहा जाता है। यह एक मल्टीप्लायर की तरह काम करता है, जिससे बेसिक सैलरी को गुणा करके नई सैलरी तय की जाती है।

कितने फिटमेंट फैक्टर की मांग हो रही है?

इस बार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लेकर काफी चर्चा हो रही है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, लेकिन अब इसे 2.86 करने की बात चल रही है। अगर ऐसा होता है तो मिनिमम सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,490 रुपये हो सकती है। इसके अलावा, न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये हो जाएगी।

सरकारी कर्मचारी 3.68 फिटमेंट फैक्टर की भी मांग कर रहे हैं। अगर यह लागू होता है, तो सैलरी में और भी ज्यादा बढ़ोतरी होगी। हालांकि, सरकार इस पर आखिरी फैसला लेगी।

सैलरी पर फिटमेंट फैक्टर का असर

फिटमेंट फैक्टर जितना ज्यादा होगा, सैलरी में उतनी ही ज्यादा बढ़ोतरी होगी। अगर यह कम होगा, तो सैलरी भी कम बढ़ेगी। सरकार इस फैक्टर को महंगाई और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर तय करती है।

पिछले वेतन आयोग में कितना था फिटमेंट फैक्टर?

  • 7वें वेतन आयोग: फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। इससे मिनिमम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी।
  • 6वें वेतन आयोग: फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जिससे सैलरी 7,000 रुपये तय की गई थी।

यानी, हर बार फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से सैलरी में बढ़ोतरी होती है। अब 8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ोतरी होगी, यह फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा।

फिटमेंट फैक्टर कैसे तय किया जाता है?

फिटमेंट फैक्टर तय करने के लिए सरकार कई फैक्टर्स को ध्यान में रखती है, जैसे:

  • देश की अर्थव्यवस्था
  • महंगाई दर
  • कर्मचारियों की जरूरतें और परफॉर्मेंस
  • सरकारी खर्च और बजट

जब 7वें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू हुआ था, तब बेसिक सैलरी 15,000 रुपये वाले कर्मचारी की सैलरी 38,550 रुपये हो गई थी। इसी तरह, नए वेतन आयोग में जो भी फिटमेंट फैक्टर होगा, उसी से सैलरी तय होगी।

8वें वेतन आयोग की स्थिति

7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 को लागू हुआ था और अब 10 साल पूरे होने वाले हैं। इसी आधार पर, 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी बताया है कि जल्द ही आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा।

क्यों की जाती है हाई फिटमेंट फैक्टर की मांग?

सरकारी कर्मचारी संगठन हमेशा चाहते हैं कि फिटमेंट फैक्टर ज्यादा रखा जाए, ताकि वेतन में अच्छी बढ़ोतरी हो। इसका असर सिर्फ सैलरी पर ही नहीं, बल्कि पेंशन और महंगाई भत्ते (DA) पर भी पड़ता है। जब फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है, तो रिटायर्ड कर्मचारियों को भी ज्यादा पेंशन मिलती है। इसलिए कर्मचारी यूनियन इसे बढ़ाने की मांग करती रहती हैं।

क्या हो सकता है नया फिटमेंट फैक्टर?

  • 2.86 लागू हुआ तो मिनिमम सैलरी 51,490 रुपये हो जाएगी।
  • 3.68 लागू हुआ तो सैलरी और भी ज्यादा बढ़ेगी।

सरकार को इस पर आखिरी फैसला लेना है, लेकिन कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि फिटमेंट फैक्टर 2.57 से कम नहीं रहेगा। महंगाई को देखते हुए सरकार इसे बढ़ा भी सकती है।

नतीजा

सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करती है। 8वें वेतन आयोग में यह कितना होगा, इसका फैसला सरकार ही करेगी। लेकिन यह तो तय है कि सैलरी में बढ़ोतरी इसी के आधार पर होगी। अब देखना होगा कि सरकार कर्मचारियों की मांग को कितना मानती है और आखिरकार कितना फिटमेंट फैक्टर लागू होता है!

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