EPS 95 Minimum Higher Pension : EPS 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन ₹7500 करने की मांग पूरी न होने से अब पेंशनभोगी खुलकर विरोध के मूड में हैं। सरकार और ईपीएफओ (EPFO) पर दबाव बनाने के लिए नई रणनीति पर काम हो रहा है। आंदोलन तेज करने के लिए पेंशनभोगियों को सुझाव दिए जा रहे हैं, जिनमें सांसदों और विधायकों के घेराव से लेकर काले झंडे दिखाने तक की बातें हो रही हैं।
EPS 95 के तहत पेंशनर्स को दो श्रेणियों में बांटा गया—पहले वे जो 2014 से पहले रिटायर हुए और दूसरे वे जो 2014 के बाद रिटायर हुए। इस विभाजन से भी पेंशनर्स में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को सभी के लिए समान फैसला देना चाहिए था, न कि दो अलग-अलग श्रेणियां बनानी चाहिए थीं।
78 लाख पेंशनर्स, लेकिन सिर्फ 5% हैं सक्रिय
पेंशनभोगी राम शंकर शुक्ला का कहना है कि 78 लाख पेंशनर्स में से सिर्फ 5% ही सक्रिय हैं। अगर इनमें से सिर्फ 1 लाख लोग भी हर जिले में सांसदों-विधायकों को ज्ञापन देने के बजाय काले झंडे दिखाकर विरोध करें, तो सरकार और ईपीएफओ पर बड़ा दबाव बनेगा। ऐसा करने से राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की छवि पर असर पड़ेगा और ईपीएफओ की असल तस्वीर सबके सामने आ जाएगी।
सनत रावल, जो लंबे समय से पेंशन मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं, कहते हैं—”हम करें तो क्या करें? जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ही कर्मचारियों को दो भागों में बांट दिया—2014 से पहले रिटायर हुए और 2014 के बाद। हमें एक समान फैसला मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
फर्जी आश्वासनों से तंग आ चुके हैं पेंशनर्स
एनएसी (NAC) आंदोलन को 9-10 साल हो गए, लेकिन EPS 95 पेंशनर्स को केवल आश्वासन ही मिले। मुंकुटला नागेंद्र बाबू का कहना है कि पेंशनर्स को निराश होने की जरूरत नहीं है। NAC नेता अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर कोई उनके प्रयासों में सही सुझाव देकर मदद करे, तो यह आंदोलन और मजबूत हो सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि NAC नेताओं को प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगना चाहिए। पिछले 8 वर्षों से पेंशन वृद्धि की मांग चल रही है, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ऐसे में अब सीधे प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखनी चाहिए और इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
अब आर-पार की लड़ाई के मूड में EPS 95 पेंशनर्स
EPS 95 पेंशनर्स अब सरकार की बेरुखी से तंग आ चुके हैं। जब लगातार संघर्ष करने के बावजूद कोई हल नहीं निकला, तो अब विरोध को और तेज करने की जरूरत है। NAC नेताओं को प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगकर इस समस्या का समाधान करवाने पर जोर देना चाहिए।
इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए पेंशनर्स को खुद भी सक्रिय होना पड़ेगा। केवल सोशल मीडिया पर लिखने से कुछ नहीं होगा, बल्कि जमीनी स्तर पर सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है। काले झंडे दिखाने का सुझाव इसी रणनीति का एक हिस्सा है, जिससे सरकार पर दबाव बने और पेंशनर्स की बात सुनी जाए।
पेंशनर्स को अब एकजुट होकर इस आंदोलन को मजबूत बनाना होगा, ताकि EPS 95 पेंशन में न्यूनतम ₹7500 की मांग जल्द से जल्द पूरी हो सके। “अब और इंतजार नहीं!