सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब चेक बाउंस किया तो होगी बड़ी कानूनी कार्रवाई Cheque Bounce Rule

Cheque Bounce Rule : आज के समय में चेक का इस्तेमाल काफी आम हो गया है। लोग इसे पेमेंट करने, रिकॉर्ड रखने और बड़े ट्रांजैक्शन में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई बार चेक बाउंस होने की दिक्कत भी आती है, जिससे कानूनी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। अगर आप भी चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि चेक बाउंस कब और क्यों होता है, इससे बचने के तरीके क्या हैं और अगर ऐसा हो जाए तो क्या कार्रवाई हो सकती है।

चेक बाउंस क्या होता है?

चेक बाउंस तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी को पेमेंट के लिए चेक देता है, लेकिन जब वो चेक बैंक में जमा किया जाता है तो किसी कारणवश बैंक उसे प्रोसेस नहीं करता। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे:

  1. बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस न होना
  2. चेक पर सही तरीके से साइन न होना
  3. गलत अकाउंट नंबर या अन्य डिटेल्स भरना
  4. चेक पर ओवरराइटिंग या अन्य तकनीकी गड़बड़ी
  5. चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद हो जाना या फ्रीज हो जाना

चेक बाउंस होने पर क्या-क्या हो सकता है?

अगर किसी का चेक बाउंस होता है, तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे पहले बैंक एक रसीद जारी करता है जिसमें बताया जाता है कि चेक क्यों बाउंस हुआ। इसके बाद:

  1. पेमेंट की मांग: चेक लेने वाला (लेनदार) चेक देने वाले (देनदार) को इस बारे में जानकारी देगा और पेमेंट करने के लिए कहेगा।
  2. लीगल नोटिस: अगर देनदार तय समय पर पैसे नहीं देता, तो लेनदार उसे लीगल नोटिस भेज सकता है।
  3. केस दर्ज: अगर नोटिस मिलने के बाद भी 15 दिन के अंदर भुगतान नहीं किया जाता, तो चेक जारी करने वाले के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है।
  4. कानूनी कार्रवाई: इस मामले में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत कार्यवाही होती है।

चेक बाउंस होने पर कितनी सजा हो सकती है?

चेक बाउंस एक कानूनी अपराध माना जाता है और इसके लिए सजा का प्रावधान भी है।

  • 2 साल तक की जेल हो सकती है।
  • जुर्माना देना पड़ सकता है, जो कि चेक की राशि के दोगुने तक हो सकता है।
  • कोर्ट केस में हारने के बाद भुगतान करना ही पड़ेगा, नहीं तो और सख्त कार्रवाई हो सकती है।

चेक बाउंस के बाद पेमेंट करने के लिए कितना समय मिलता है?

  • जब चेक बाउंस होता है, तो बैंक से इसकी सूचना मिलते ही लेनदार को देनदार को बताना होता है।
  • देनदार को 30 दिन के अंदर चेक की रकम का भुगतान करना होता है।
  • अगर तय समय पर पेमेंट नहीं होता, तो लेनदार को कानूनी नोटिस भेजने का अधिकार होता है।
  • नोटिस मिलने के बाद 15 दिनों के अंदर अगर पेमेंट नहीं किया गया, तो कोर्ट में केस दर्ज किया जा सकता है।

चेक की वैधता कितने दिन की होती है?

चेक की वैधता 3 महीने होती है। यानी चेक जारी करने की तारीख से 90 दिनों के अंदर उसे बैंक में जमा कराना जरूरी होता है। अगर यह समय बीत जाता है, तो चेक अमान्य हो जाता है और इसे फिर से जारी करवाना पड़ता है।

चेक बाउंस से बचने के तरीके

  • हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपके बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस हो।
  • चेक पर सही तरीके से साइन करें और डेट/राशि को ध्यान से भरें।
  • पुराने या फटे-फटे चेक का इस्तेमाल न करें।
  • अगर चेक जारी किया है, तो यह ध्यान रखें कि वह समय पर क्लियर हो जाए।
  • अगर गलती से चेक बाउंस हो गया है, तो तुरंत लेनदार से संपर्क करें और समाधान निकालें।

निष्कर्ष

चेक बाउंस एक गंभीर मामला है और इससे बचने के लिए जरूरी है कि चेक से जुड़े सभी नियमों का पालन करें। अगर चेक बाउंस हो जाता है, तो जल्द से जल्द भुगतान करने की कोशिश करें, ताकि कानूनी पचड़ों में न फंसें। अगर आप किसी का चेक बैंक में जमा कर रहे हैं, तो उसकी समयसीमा और वैधता का ध्यान जरूर रखें।

चेक बाउंस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सतर्क रहें और सभी लेन-देन को सही तरीके से करें।

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