Home Loan Rule – हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो, जहां वह सुकून से रह सके। लेकिन आज के दौर में घर खरीदना आसान नहीं रह गया है, खासकर तब जब रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू रही हों। ऐसे में ज्यादातर लोग होम लोन का सहारा लेते हैं। लेकिन बैंक से लोन लेना भी उतना आसान नहीं होता जितना दिखता है। कई बार कागज़ी प्रक्रिया, सख्त नियम और दस्तावेज़ी खामियों के कारण लोन रिजेक्ट हो जाता है या बहुत देर से मिलता है। लेकिन अगर आप कुछ अहम बातों का ध्यान रखें, तो लोन लेना भी उतना ही आसान हो सकता है जितना ऑनलाइन शॉपिंग करना।
सिबिल स्कोर क्यों होता है इतना जरूरी?
जब भी आप होम लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर चेक करता है। ये स्कोर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री यानी आपने पहले लिए गए लोन और क्रेडिट कार्ड की भुगतान स्थिति को दर्शाता है। अगर आपने समय पर सारे पेमेंट किए हैं तो आपका स्कोर अच्छा रहेगा, जिससे बैंक को आप पर भरोसा होगा। बेहतर स्कोर मिलने से न सिर्फ लोन जल्दी मंज़ूर होता है बल्कि ब्याज दर भी कम मिलती है। वहीं, अगर स्कोर खराब है तो बैंक लोन देने से कतराते हैं। इसलिए सिबिल स्कोर सुधारने पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए।
कम स्कोर है? तो सह-आवेदक को जोड़ें
अगर आपकी इनकम कम है या सिबिल स्कोर बहुत बढ़िया नहीं है, तो आप किसी करीबी को सह-आवेदक बनाकर लोन के चांस बढ़ा सकते हैं। ये कोई भी हो सकता है जैसे आपकी पत्नी, भाई या माता-पिता जिनका स्कोर अच्छा हो। जब दो लोगों की इनकम मिलती है तो बैंक को भरोसा होता है कि लोन चुकाने की क्षमता मौजूद है। इससे लोन जल्दी मिल जाता है और ज्यादा राशि भी मिलने की संभावना होती है। कई बैंक तो सह-आवेदक के साथ फाइल आने पर जल्दी अप्रूवल दे देते हैं।
लोन की अवधि का सही चुनाव कैसे करें?
कई लोग लोन की राशि पर तो ध्यान देते हैं लेकिन उसकी अवधि को नजरअंदाज़ कर देते हैं। लोन की अवधि जितनी ज्यादा होगी, आपकी ईएमआई उतनी ही कम बनेगी, जिससे भुगतान आसान हो जाता है। हालांकि कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ता है। अगर आप जल्दी लोन चुकाना चाहते हैं और आपकी इनकम मजबूत है तो कम अवधि वाला लोन लें जिससे ब्याज में बचत हो। लेकिन अगर आपका खर्च ज्यादा है तो लंबी अवधि चुनना बेहतर होगा। बैंक आमतौर पर लंबी अवधि के लोन को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें ब्याज ज्यादा मिलता है।
डाउन पेमेंट जितना ज्यादा, उतना अच्छा
बैंक आमतौर पर घर की कुल कीमत का 80% तक लोन देते हैं, बाकी का डाउन पेमेंट आपको करना होता है। अगर आप ज्यादा डाउन पेमेंट करते हैं तो बैंक को रिस्क कम लगता है और आपकी लोन फाइल जल्दी मंजूर हो सकती है। साथ ही इससे आपकी ईएमआई भी कम बनती है और कुल ब्याज का बोझ भी घटता है। इसलिए कोशिश करें कि अधिक से अधिक डाउन पेमेंट करें ताकि बैंक का भरोसा बढ़े और प्रक्रिया तेज़ हो।
आमदनी स्थिर और नियमित होनी चाहिए
बैंक हमेशा उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देते हैं जिनकी आमदनी स्थायी और नियमित हो। अगर आप नौकरीपेशा हैं और आपके पास सैलरी स्लिप या इनकम स्टेटमेंट है तो बैंक को लोन देने में ज्यादा भरोसा रहता है। वहीं, अगर आप बिजनेस करते हैं तो आपको आय प्रमाण पत्र दिखाना होता है। साइड इनकम, फ्रीलांस काम या किराए की आय भी फायदा देती है। कुल मिलाकर बैंक इस बात का अंदाज़ा लगाते हैं कि आप हर महीने ईएमआई भर पाएंगे या नहीं। अगर आपकी आमदनी स्थिर है तो लोन जल्दी मंजूर होने की संभावना रहती है।
जरूरी दस्तावेज़ पहले से तैयार रखें
होम लोन में सबसे ज्यादा देरी कागज़ों की कमी या गलत जानकारी की वजह से होती है। बैंक पहचान पत्र, एड्रेस प्रूफ, इनकम स्टेटमेंट, बैंक स्टेटमेंट और पासपोर्ट साइज फोटो जैसी चीज़ें मांगते हैं। अगर ये डॉक्युमेंट पहले से तैयार और सही हैं तो प्रोसेस जल्दी हो जाता है। इसलिए आवेदन से पहले एक बार सभी कागज़ों की जांच जरूर कर लें ताकि कोई गलती न रह जाए।
ब्याज दर कैसे कम करें?
ब्याज दर आपके पूरे लोन की लागत पर असर डालती है। इसका सीधा कनेक्शन आपके सिबिल स्कोर, डाउन पेमेंट और लोन अवधि से होता है। अगर ये सभी चीज़ें बेहतर हैं तो बैंक आपको कम ब्याज पर लोन ऑफर कर सकते हैं। कई बार बैंक त्योहारों पर या खास स्कीम के तहत कम ब्याज दर वाले लोन भी देते हैं। ऐसे ऑफर्स पर नजर रखें और जरूरत पड़े तो बैंक की ब्रांच से संपर्क करें। ब्याज दर कम होगी तो आपकी ईएमआई भी हल्की बनेगी।
ऑनलाइन आवेदन का है सबसे आसान तरीका
अब ज़माना है डिजिटल का, तो होम लोन भी ऑनलाइन अप्लाई करें। बैंक की वेबसाइट या ऐप के ज़रिए आप फॉर्म भर सकते हैं, डॉक्युमेंट अपलोड कर सकते हैं और स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रोसेस में बैंक तुरंत जानकारी वेरिफाई करता है और कम समय में फीडबैक देता है। इससे न लाइन में लगना पड़ता है न बार-बार ब्रांच जाना पड़ता है। खासतौर पर कामकाजी लोगों और युवाओं के लिए यह तरीका सबसे आसान और तेज़ है।
क्रेडिट हिस्ट्री को बनाएं मजबूत
आपकी क्रेडिट हिस्ट्री बैंक को बताती है कि आप कितने जिम्मेदार उधारकर्ता हैं। अगर आपने पुराने लोन या क्रेडिट कार्ड की पेमेंट समय पर की है तो आपकी छवि अच्छी बनती है। वहीं अगर आपने डिफॉल्ट किया है या पेमेंट में देरी की है तो इसका असर लोन स्वीकृति पर पड़ सकता है। इसलिए हर भुगतान समय पर करें, क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल न करें और समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहें।
FAQs:
सवाल: क्या कम सैलरी वालों को भी होम लोन मिल सकता है?
अगर आपकी सैलरी कम है तो सह-आवेदक जोड़कर या लंबी अवधि का लोन चुनकर आप लोन के लिए पात्र बन सकते हैं। बैंक आपकी मासिक आमदनी और खर्च देखकर फैसला लेते हैं।
सवाल: क्या बिना क्रेडिट हिस्ट्री के भी लोन मिल सकता है?
अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, तो बैंक आपको न्यू-टू-क्रेडिट कस्टमर मानता है। ऐसे मामलों में लोन मिल सकता है लेकिन शर्तें थोड़ी सख्त हो सकती हैं।
सवाल: लोन रिजेक्ट होने पर दोबारा कब अप्लाई कर सकते हैं?
अगर आपका लोन रिजेक्ट हो गया है, तो पहले वजह समझें और उसे सुधारें। आमतौर पर 3–6 महीने बाद आप दोबारा आवेदन कर सकते हैं। इस बार दस्तावेज़ और स्कोर पर विशेष ध्यान दें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अपने बैंक, फाइनेंशियल एडवाइजर या संबंधित संस्थान से सलाह लेना ज़रूरी है। लोन की शर्तें व्यक्ति की प्रोफाइल, बैंक पॉलिसी और समय के अनुसार बदल सकती हैं।